UPTET - 72,825 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती का
मामला, यूपी सरकार से जवाब तलब
प्रदेश में 72,825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। इन प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती संबंधी राज्य सरकार की 31 अगस्त की विज्ञप्ति को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है
याचिका में पिछली सरकार के दौरान निर्धारित नियमों के तहत प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने का आग्रह किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई एक अक्तूबर को होगी। न्यायमूर्ति अजय लांबा ने यह आदेश अरविंद कुमार सिंह व अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया। कोर्ट ने सरकारी वकील को मामले में निर्देश प्राप्त कर पहली अक्तूबर को राज्य सरकार का पक्ष पेश करने को कहा है।
याचियों का कहना है कि सूबे की पिछली सरकार के दौरान 23/30 नवंबर 2011 को विज्ञापन के तहत इन प्राइमरी शिक्षकों का चयन टीईटी परीक्षा के प्राप्तांकों की मेरिट चयन प्रक्रिया अंतिम दौर में थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने बेसिक शिक्षा कानून में संशोधन कर पहले जारी हो चुकी विज्ञप्तियों व आवेदनों को रद्द कर दिया। अब चयन का आधार शैक्षिक योग्यता के गुणांक को रखा गया है, जो उचित नहीं है।
याचियों ने कहा कि यह टीईटी जैसे प्रतियोगी परीक्षा के जरिए चयनित अभ्यर्थियों के हितों के खिलाफ है। उधर, राज्य सरकार की तरफ से याचिका का विरोध किया गया। साथ ही इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने को समय दिए जाने का आग्रह किया गया। इस पर कोर्ट ने सरकार का पक्ष पेश करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई एक अक्तूबर को तय की है।
याचिका में पिछली सरकार के दौरान निर्धारित नियमों के तहत प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने का आग्रह किया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई एक अक्तूबर को होगी। न्यायमूर्ति अजय लांबा ने यह आदेश अरविंद कुमार सिंह व अन्य अभ्यर्थियों की याचिका पर दिया। कोर्ट ने सरकारी वकील को मामले में निर्देश प्राप्त कर पहली अक्तूबर को राज्य सरकार का पक्ष पेश करने को कहा है।
याचियों का कहना है कि सूबे की पिछली सरकार के दौरान 23/30 नवंबर 2011 को विज्ञापन के तहत इन प्राइमरी शिक्षकों का चयन टीईटी परीक्षा के प्राप्तांकों की मेरिट चयन प्रक्रिया अंतिम दौर में थी। लेकिन मौजूदा सरकार ने बेसिक शिक्षा कानून में संशोधन कर पहले जारी हो चुकी विज्ञप्तियों व आवेदनों को रद्द कर दिया। अब चयन का आधार शैक्षिक योग्यता के गुणांक को रखा गया है, जो उचित नहीं है।
याचियों ने कहा कि यह टीईटी जैसे प्रतियोगी परीक्षा के जरिए चयनित अभ्यर्थियों के हितों के खिलाफ है। उधर, राज्य सरकार की तरफ से याचिका का विरोध किया गया। साथ ही इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने को समय दिए जाने का आग्रह किया गया। इस पर कोर्ट ने सरकार का पक्ष पेश करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई एक अक्तूबर को तय की है।
Source- Amar Ujala
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