जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बीते वर्ष आयोजित की गई अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पर सरकार भले ही रुख स्पष्ट करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हो लेकिन प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में अब भी पेच फंसा हुआ है। बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की अवधि बीतने के लिए समय बढ़ाने के राज्य सरकार के अनुरोध को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने अब तक स्वीकार नहीं किया है। एनसीटीई की ओर से 23 अगस्त 2010 को जारी की गई अधिसूचना में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बीएड डिग्रीधारकों को भी मौका दिया गया था बशर्ते कि वे नियुक्ति के बाद प्रारंभिक शिक्षाशास्त्र में एनसीटीई के मान्यताप्राप्त छह महीने का विशेष प्रशिक्षण हासिल कर लें। एनसीटीई ने बीएड डिग्रीधारकों को बतौर शिक्षक नियुक्त करने के लिए एक जनवरी 2012 तक की समयसीमा तय की थी। राज्य सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती के लिए बीते वर्ष 13 नवंबर को टीईटी आयोजित की थी। टीईटी के परिणाम में जहां धांधली उजागर हुई, वहीं शिक्षकों की भर्ती पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है। राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक व बीटीसी है। जितनी बड़ी संख्या में राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की कमी है, उतनी बड़ी तादाद में बीटीसी की ट्रेनिंग देनी की व्यवस्था नहीं है। सूबे में सत्ता परिवर्तन होने के बाद इस तथ्य पर गौर करते हुए राज्य सरकार ने एनसीटीई से अनुरोध किया है कि वह बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक नियुक्त करने की सीमा को 31 मार्च 2015 तक बढ़ा दे। एनसीटीई ने अब तक यह समयसीमा नहीं बढ़ाई है। उधर मुख्यमंत्री यह कह चुके हैं कि सरकार टीईटी पर जल्द फैसला लेगी। सरकार भले ही टीईटी पर फैसला कर ले लेकिन जब तक एनसीटीई समयसीमा नहीं बढ़ाती, तब तक बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त नहीं किया जा सकेगा।
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